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किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए किसी भी विषय से सम्बंधित सामग्री को सिर्फ एक बार पढ़ना ही पर्याप्त नहीं होता हैं, बल्कि उसे बार बार पढ़ना पड़ता हैं।
बार बार पढ़ने से मतलब रटना नहीं हैं बल्कि उसे समझना हैं। जब एक बार अपने दिमाग में कोई चीज बेठ जाती है तो फिर वो आसानी से नहीं निकलती है बस वही बात हमे पढ़ाई के साथ करनी है हमे हर एक चेप्टर को समझना है उसका कंसेप्ट क्लियर करना है कंसेप्ट क्लियर करते ही उस चैप्टर से संबंधित सारी बातें हमारे दिमाग में स्थाई हो जाएंगी फिर भविष्य में कभी भी हमें उस चैप्टर को दोबारा देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि जब एक बार किसी भी चीज का हमारे दिमाग में कंसेप्ट क्लियर हो जाता है तो वह चीज हमारे दिमाग में स्थाई हो जाती है।
आपने देखा होगा फिल्मों के गाने, फिल्मों की स्टोरी, फिल्मों के नायक-नायिका,आदि हमारे दिमाग में स्थाई खो जाते हैं जबकि हम उस फिल्म को यह उस फिल्म की स्टोरी को एक से दूसरी बात नहीं पढ़ते या फिर उस फिल्म को एक से दूसरी बार नहीं देखते, हमारे कहने का तात्पर्य यह है की, जब कोई चीज हमारे दिमाग में गहराई तक अपना प्रभाव स्थापित कर लेती है तब वह चीज हमारे दिमाग से कभी भी नहीं निकलती है।
हमें पढ़ाई को भी इसी तरह लेना चाहिए पढ़ाई करने के लिए हमें जो हमारा सिलेबस है पहले उस सिलेबस को ध्यान से पढ़ना चाहिए और उस सिलेबस के अनुसार हमें हमारी पढ़ाई शुरू करनी चाहिए।
पढ़ाई शुरू करते ही सबसे पहले हमें टाइम टेबल सेट करना चाहिए फिर उस टाइम टेबल के अनुसार हमें प्रत्येक विषय में पढ़ना चाहिए। हर दिन हम जो भी चैप्टर पढ़ें उसका का कंसेप्ट हमारे दिमाग में क्लियर होना चाहिए अगर किसी भी चैप्टर का कंसेप्ट हमारे दिमाग में क्लियर नहीं होगा तो वो चैप्टर हमारे दिमाग में स्थाई नहीं होगा हमें चैप्टर के कंसेप्ट को क्लियर करना ही होगा अगर क्लियर नहीं करेंगे तो उस टॉपिक से संबंधित प्रश्न जब भी किसी एग्जाम में पूछे जाएंगे तो हम उन प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाएंगे क्योंकि वह चैप्टर हमने क्लियर नहीं करा था।
उस का कंसेप्ट हमारे दिमाग में में स्थाई रूप में मौजूद नहीं है ।
स्थाई रूप में मौजूद करने के लिए उस चैप्टर को हमें दोबारा पढ़ना पड़ेगा। हो सकता है, दोबारा पड़ने पर भी वह चैप्टर हमारे दिमाग में स्थाई रूप में न हो इसका कारण एक ही होगा कि हमने उस चैप्टर के कंसेप्ट को नहीं समझा। मैं बार-बार एक ही बात रिपीट कर रहा हूं एक ही बात पर फॉक्स कर रहा हूं कि हमें किसी भी चैप्टर को समझने के लिए उसके कंसेप्ट को समझना बहुत जरूरी है कंसेप्ट को समझने से ही उस चैप्टर की समझ हमारे दिमाग तक पहुंचेगी और हमारा दिमाग उस चैप्टर को अपने में स्थाई कर लेगा।
हमारे जीवन में पढ़ाई का महत्व
पढाई का आज के जीवन में बहुत महत्व है, इसके सिर्फ फायदे ही फायदे है. पढाई से ज्ञान मिलता है, जो इन्सान को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है. शिक्षा का महत्व युगों युगों से चला आ रहा है. पहले लोग किसी महान महापुरुष के पास जाकर शिक्षा लिया करते थे, उनके आश्रम में रहकर हर प्रकार की शिक्षा लेते थे. फिर गुरुकुल भी बने, जहाँ वेद पूरण का ज्ञान दिया जाने लगा. अंग्रेजों के आने के पहले ऐसे ही शिक्षा दी जाती थी, उनके आने के बाद शिक्षा का रूप बदल गया. शिक्षा के लिए स्कूल बनाए गए, जहाँ सिर्फ पढाई पर ध्यान दिया जाता था, दूसरी बातों का ज्ञान यहाँ नहीं मिलता था. शिक्षा के क्षेत्र में और तरक्की हुई, और सरकारी स्कूल के अलावा प्राइवेट स्कूल भी बनने लगे. बड़े बड़े कॉलेज का निर्माण हो गया, अलग अलग क्षेत्र की शिक्षा के लिए अलग अलग कॉलेज बन गए.
अगर आपसे पुछा जाये आपसे A B C आता है, तो आप कहेंगे हां, इसका क्या मतलब है आप शिक्षित है या साक्षर? शिक्षित होना और साक्षर होना दोनों में अंतर होता है. साक्षरता का मतलब होता है कि आप पढ़ लिख सकते है. शिक्षा का मतलब है कि आप पढ़ लिख सकते हैं और इस शिक्षा का उपयोग आप अपने फायदे के लिए भी कर सकते है. अगर आप पढ़ना लिखना जानते है, लेकिन ये न समझे कि कैसे उपयोग करे, कैसे इसका उपयोग कर जीवन में आगे बढ़ें तो आपके साक्षर होने का क्या फायदा. साक्षर होना बस काफी नहीं है, आपको शिक्षित होना चाहिए. आजकल हर देश में वहां के नागरिक को साक्षर बनाने की बात पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए नागरिक को साक्षर होने साथ शिक्षित भी होना चाहिए. देश को ऐसे समूह की जरूरत नहीं है, जो सिर्फ पढ़ा लिखा हो, जबकि देश को ऐसे लोग चाहिए जो शिक्षा के बल पर जीवन में आगे बढे. आजकल पढ़ा लिखा तो रोबोट भी होता है, तो इसका क्या मतलब वो शिक्षित है? रोबोट अपनी पढाई का उपयोग खुद नहीं कर सकता, जितना उससे बोला जायेगा वो उतना ही करेगा. हमें रोबोट नहीं बनना है.
जीवन में पढ़ाई के महत्व को समझने के लिए आप इस कहानी को पढ़ सकते हैं :-
जब भी विकास पढ़ने के लिए किताबें निकालता तब उस का मन पढाई में नहीं लगता। किताबें खोलते ही उसे बाहर जा अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन करता। माँ ने उसे कभी खेलने के लिए रोका नहीं था। सिर्फ इतना समझाया था कि खेलने के साथ पढ़ना भी कितना जरूरी है।
पर विकास का बिगड़ैल मन हमेशा उल्टा ही करता था। जब सब साथी स्कूल से आकर थोड़ा सुस्ता कर पढ़ने बैठ जाते और शाम को खेलने निकलते।
वहीं विकास स्कूल से आकर टीवी देखने बैठ जाता और शाम होते ही खेलने निकल जाता। इसका नतीजा ये हुआ कि तिमाही परीक्षा में बड़ी ही मुश्किल से पास हो पाया।
इतने कम नंबर देख माँ ने उसे खूब डाँटा और पढ़ने पर ज़ोर देने को कहा। माँ के डर से वो पढ़ने तो बैठ जाता मगर उसका चंचल मन पढाई में उसका साथ ना देता।
फाइनल परीक्षा में कुछ हो दिन शेष रह गए थे जब एक छोटी सी घटना ने विकास की सोच को बदल दिया।
एक दिन शाम उसकी माँ ने उसे बताया कि धोबी अभी तक उसकी स्कूल यूनिफार्म लेकर नहीं आया था।
और अगर नहीं आया तो वो अगले दिन स्कूल क्या पहन कर जाएगा। माँ ने ये भी बताया कि धोबी शायद बीमार न पड़ा हो। माँ ने उसे धोबी के घर जा अपनी यूनिफार्म लाने को कहा।
धोबी का घर पास ही की एक बस्ती में था इसलिए विकास पैदल ही चल पड़ा। इस बस्ती में काफी गरीब लोग ही रहते थे इसी कारण कई घरों में तो बिजली भी नहीं थी। मगर सड़कों पर बिजली के खंबे लगे थे जो चारों तरफ रौशनी फैला रहे थे।
विकास अपने धोबी के घर पहुंचा तो पता चला कि माँ का कहना सही था। धोबी बीमार पड़ा था और इसलिए यूनिफार्म लेकर नहीं आ पाया था। खैर, अपनी यूनिफार्म ले विकास घर वापिस चल दिया। अभी कुछ कदम ही चला होगा कि उसकी नज़र एक खंबे के नीचे बैठे एक लड़के पर गयी जो किताबें खोल पढ़ रहा था। उसकी लगन देख विकास उसके करीब गया और पूछा की आखिर वो इतनी रात सड़क पर बैठा क्यों पढ़ रहा है।
उस लड़के ने उसे बताया कि दिन भर वो अपने पिता के साथ घर घर जा सब्जी बेचता है और फिर दोपहर के स्कूल में पढ़ने जाता है। शाम को स्कूल से घर आकर घर के कामों में माँ का हाथ बटाता है। क्योंकि उसका परिवार बिजली का खर्चा नहीं उठा पता इसलिए रात का खाना खा यहाँ बैठ कर पढ़ता है।
अपनी उम्र के लड़के की दिनचर्या सुन विकास का मन रो पड़ा।
कहाँ मैं जो दिन भर खेलने और टीवी की सोचता हूँ। और कहाँ ये जो माँ और पिता के कामों में हाथ तो बटाने के बाद भी सड़क पर बैठा पढाई कर रहा है। उस लड़के की लगन को देख विकास का सर शर्म से झुक गया।
कदम तो घर की तरफ चल रहे थे मगर विकास के मन में रह रह कर उस लड़के की बातें ही आ रही थी। घर पहुँचते तक उसने ये ठान लिया कि आज से पढाई में पूरा मन लगा के पढ़ेगा।
और उसके उस दृढ़ निशचय ने रंग दिखाया। विकास सिर्फ पास नहीं हुआ बल्कि अपने स्कूल की वार्षिक परीक्षा में फर्स्ट आया।
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