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विशेषण - हिंदी व्याकरण
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आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, हिंदी व्याकरण का अति महत्वपूर्ण टॉपिक विशेषण
दोस्तों विशेषण टॉपिक से हर एग्जाम में questions पूछे जाते है।
इस टॉपिक की इंपोर्टेंस को देखते हुए हम लाए हैं आपके लिए विशेषण के अति महत्वपूर्ण नोट्स जो कि हिंदी व्याकरण subject के एक्सपर्ट के द्वारा तैयार किए गए हैं ।
तो दोस्तों हम आशा करते हैं की यह नोट्स आपके लिए उपयोगी साबित होंगे
अगर नोट्स अच्छे लगे तो शेयर कीजिए
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।। धन्यवाद ।।
विशेषण
विशेषण की परिभाषा :-
विशेषण किसे कहतें हैं ?
विशेषण क्या होता हैं ?
● वे शब्द, जो किसी संज्ञा या सवर्नाम शब्द की विशेषता बतलाते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।
जैसे :-
● क्रमशः नीला, छोटी, दुबला और कुछ शब्द विशेषण हैं, जो आकाश, लड़की, आदमी, पुस्तकें संज्ञाओं की विशेषता का बोध करा रहे हैं।
विशेषण और विशेष्य :-
● जैसा की हम पहले ही जान चुके हैं कि विशेषता बतलाने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
● जो शब्द विशेषता बतातें हैं उन्हें विशेषण कहतें हैं।
● और जिन शब्दों की विशेषता बताई जाती हैं उन्हें विशेष्य कहतें हैं।
● उक्त उदाहरणों में आकाश, लड़की, आदमी, पुस्तकें आदि शब्द विशेष्य कहलायेंगे।
विशेषण के प्रकार :-
विशेषण कितने प्रकार के होतें हैं ?
विशेषण के प्रकारों का वर्णन कीजिये।
विशेषण मुखयतः 5 प्रकार के होते हैं :-
1.गुणवाचक विशेषण
2. संख्यावाचक विशेषण
3. परिमाण वाचक विशेषण
4. संकेतवाचक विशेषण
5. व्यक्तिवाचक विशेषण
1.गुणवाचक विशेषण :-
गुणवाचक विशेषण किसे कहतें हैं ?
● वे शब्द, जो किसी संज्ञा या सवर्नाम
के गुण, दोष, रूप, रंग, आकार, स्वभाव, दशा आदि का बोध कराते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे - काला, भला, छोटा, मीठा, देशी, पापी, धामिर्क आदि।
2. संख्यावाचक विशेषण :-
संख्यावाचक विशेषण किसे कहतें हैं ?
● वे विशेषण, जो किसी संज्ञा या सवर्नाम
की निश्चित, अनिश्चित संख्या, क्रम या
गणना का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक
विशेषण कहते हैं।
● संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-
◆ एक वे जो निश्चित संख्या का बोध कराते हैं।
◆ दूसरे वे जो अनिश्चित संख्या का बोध कराते हैं।
(I) निश्चित संख्या वाचक विशेषण :-
(अ) गणनावाचक - एक, दो, तीन।
(आ) क्रमवाचक - पहला, दूसरा।
(इ) आवृित्तवाचक - दगुनुा, चागैनुा।
(द) समदुाय वाचक - दोनों, तीनों, चारों
(II) अनिश्चय संख्या वाचक विशेषण :-
● कई, कुछ, सब, बहुत, थोड़े
3. परिमाण वाचक विशेषण :-
● वे विशेषण, जो किसी पदार्थ की निश्चित
या अनिश्चित मात्रा, परिमाण, नाप या तौल आदि का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं ।
● इसके दो उपभेद किए जा सकते हैं :-
(I) निश्चित परिमाण वाचक :-
● दो मीटर, पाँच किलो, सात लीटर।
(II) अनिश्चित परिमाण वाचक :-
● थोड़ा, बहुत, कम, ज्यादा, अधिक,जरा-सा ,सब आदि।
4. संकेतवाचक विशेषण :-
● वे सवर्नाम शब्द, जो विशेषण के रूप
में किसी संज्ञा या सवर्नाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें संकेतवाचक या सावर्नामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे - इस पुस्तक को मत फेंको।
उस पत्रिका को पढा़े।
वह कौन गा रहा है ?
● वाक्यों में 'इस', 'उस' ,'वह' आदि शब्द संकेतवाचक विशेषण हैं।
5. व्यक्तिवाचक विशेषण :-
● वे विशेषण, जो व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से
बनकर अन्य संज्ञा या सवर्नाम की विशेषता बतलाते हैं उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे : - जोधपुरी जूती, बनारसी साड़ी, कश्मीरी सेब, बीकानेरी भुजिया।
● वाक्यों में जोधपुरी, बनारसी, कश्मीरी, बीकानेरी शब्द व्यक्तिवाचक विशेषण हैं।
विशेषण की अवस्थाएँ :-
विशेषण की अवस्थाएँ क्या होती हैं ?
विशेषण की अवस्थाएँ कितनी होती हैं ?
विशेषण की अवस्था किसे कहतें हैं ?
अवस्था क्या होती है ?
अवस्था किसे कहतें हैं ?
● किसी स्थिति के विभिन्न प्रकारो को अवस्था कहतें हैं।
● विशेषण की तलुनात्मक स्थिति को अवस्था कहते हैं।
अवस्था के प्रकार :-
अवस्था कितने प्रकार की होती हैं ?
अवस्था के प्रकारो का वर्णन कीजिये।
● अवस्था के तीन प्रकार माने गये हैं :-
(I) मुलावस्था
(II) उत्तरावस्था
(III) उत्तमावस्था
(I) मुलावस्था :-
● जिसमें किसी संज्ञा या सवर्नाम की सामान्य स्थिति का बोध होता हैं। उसे मूलावस्था कहतें हैं।
जैसे :- राम अच्छा लड़का है।
(II) उत्तरावस्था :-
● जिसमें दो संज्ञा या सवर्नाम की तुलना की जाती हैं।
जैसे :- अशोक कबीर से अच्छा है।
प्रशान्त अभिषेक से श्रेष्ठतर है।
(III) उत्तमावस्था :-
● जिसमें दो से अधिक संज्ञा या सर्वनामों की तुलना करके, एक को सबसे अच्छा या बुरा बतलाया जाता हैं, वहाँ उत्तमावस्था होती हैं।
जैसे - राम सबसे अच्छा है।
पिया कक्षा में श्रेष्ठत्तम छात्रा है।
विशेषण में अवस्था परिवतर्न :-
विशेषण में अवस्था परिवर्तन किस प्रकार से होता हैं ?
● शब्द की मूलावस्था में परिवर्तन करके शब्द की अवस्था में परिवर्तन किया जाता हैं ।
विशेषण में अवस्था परिवर्तन कैसे होती हैं ?
● मूलावस्था के शब्दों में ‘तर’ तथा तम प्रत्यय लगा कर या शब्द के पूर्व से अधिक, या सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग कर क्रमशः उत्तरावस्था एवं उत्तमावस्था में प्रयुक्त किया जाता है।
जैसे :-
विशेषण की रचना :-
विशेषण की रचना कैसे होती हैं ?
विशेषण की रचना किस प्रकार से होती हैं ?
● संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया तथा अव्यय शब्दों के
साथ प्रत्यय के मेल से विशेषण पद बन जाता है।
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